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धौरहरा

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  • मतदान की तारीख: 6 मई
  • जनसंख्या: 1558041
  • रेखा वर्मा
  • रेखा वर्मा
  • भारतीय जनता पार्टी

यह संसदीय क्षेत्र इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि इसका नेतृत्व युवा कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद जैसे दिग्गज राजनेता ने किया है।2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रेखा वर्मा ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दाउद अहमद को मात दी थी। तब रेखा वर्मा को कुल 3, 60, 357 लाख मत मिले थे, जबकि दाउद अहमद महज 2, 34, 682 लाख मत प्राप्त करके ही सिमट गए थे।

सन 2008 में परिसीमन में इस संसदीय सीट को नया स्वरूप मिला। अब 5 विधानसभा क्षेत्र इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं। वह हैं- धौरहरा, कास्ता, मोहम्मदी, मोहाली और हरगांव। खास बात यह है कि इन सभी 5 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है। इस समय यूपी और केंद्र में भी भारतीय जनता पार्टी का ही शासन है, लेकिन सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से उसे कड़ी चुनौती कई जगहों पर मिल रही है। यह सीट भी उनमें से ही एक है। हालांकि, चुनाव मैदान में कांग्रेस के दमदार उम्मीदवार की मौजूदगी से मुकाबला और रोचक हो चुका है। यहां किसकी जीत होगी और किसकी हार, यह अनुमान लगाना मुश्किल है।

इस सीट के जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, कायस्थ के अलावा दलित, पिछड़े और मुस्लिम मतदाता भी अच्छी खासी तादाद में हैं। यहां पर लगभग 19 प्रतिशत दलित और 0.01 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं। लगभग 16 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भी जीत हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां पर यादव मतदाताओं की संख्या लगभग 8 फीसदी है, जबकि कुर्मी मतदाताओं की संख्या लगभग 10 प्रतिशत है।

तकरीबन 15 प्रतिशत मतदाता अन्य पिछड़ी जातियों के भी हैं। इस प्रकार दलित, मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या यहां पर भी लगभग 40 फीसदी से अधिक है, जिससे बसपा की जीत की भी संभावनाएओं को बल मिलता है। शायद इसलिए भी कि सपा का भी समर्थन उसे प्राप्त है। हालांकि सवर्णों में ब्राह्मण 10 प्रतिशत, क्षत्रिय 8 प्रतिशत, वैश्य 2 प्रतिशत और कायस्थ 1.5 प्रतिशत मतदाता हैं, जिनके  वोट भी यहां निर्णायक होते हैं और जीत-हार का फासला घटाते-बढ़ाते हैं।

जानकारों का कहना है कि मुस्लिम, यादव (ओबीसी) और दलित वोटरों की गोलबंदी यहां कांग्रेस के पक्ष में होगी या सपा-बसपा गठबंधन के, यह यहां अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन इनका कुछ हिस्सा बीजेपी को भी मिलेगा, यह तय है। हालांकि, बीजेपी की नजर गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव-चमार दलितों पर भी है। बीजेपी वर्मा कुर्मी और रावत पासी वोटों को अपने पाले में करने के लिए विकास, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और जातीय समीकरण तीनों का यहाँ भी सहारा ले रही है। अगर चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़ों पर गौर करें तो इस सीट पर कुल 15 लाख 58 हजार 041 मतदाता हैं जिनमें से लगभग 8 लाख 46 हजार 798 पुरुष और 7 लाख 11 हजार 151 महिलाएं हैं।

इस सीट पर मुख्यतः मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और  सपा-बसपा-रालोद गठजोड़ के बीच ही होगा। 2014 के लोकसभा चुनावों में यहाँ बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार दाउद अहमद यहां दूसरे नंबर पर रहे थे। जबकि सपा उम्मीदवार आनन्द भदौरिया 2, 34, 032  वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। तब सीटिंग कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद लुढ़क कर चौथे स्थान पर चले गए थे और उन्हें मात्र 1, 70, 994 मत ही मिले थे।

धौरहरा लोकसभा सीट से बीजेपी की रेखा वर्मा ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव रेखा वर्मा ने 5,12,905 वोट हासिल किए थे। आपको बता दें कि इस क्षेत्र में सवर्णों और मुस्लिमों की संख्या अच्छी है और पिछड़ी जातियों का भी बोलबाला है। यहां पर चुनावी नतीजे तय करने में मुस्लिम, ओबीसी और एससी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बसपा के अरशद सिद्दीकी दूसरे नंबर और कांग्रेस प्रत्याशी जितिन प्रसाद को सिर्फ डेढ़ लाख से अधिक वोट ही मिल पाए। 

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उत्तरप्रदेश के 80 संसदीय क्षेत्रों में से एक धौरहरा  संसदीय क्षेत्र पर इस समय भाजपा का कब्जा है। भाजपा नेत्री रेखा वर्मा, धौरहरा संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करती हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर इस संसदीय क्षेत्र की आबादी 40, 13, 634 लाख है। सन 2008 में आई निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों से ही यह नया संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया है। तब से यहां दो बार चुनाव हो चुके हैं और तीसरी बार हो रहे हैं।

सन 2009 में जब इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए तो  कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद यहां से निर्वाचित हुए। वो दिग्गज कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं। यहां जीतने से पहले वो शाहजहांपुर के सांसद थे। यह नई सीट लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट और सीतापुर लोकसभा सीट से कुछ विधान सभा सीट काटकर बनाई गई है। शाहजहांपुर भी पड़ोस में ही है। श्री प्रसाद इस इलाके के जनप्रिय नेता हैं, क्योंकि उनके पिताजी देश के दो प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पीवी नरसिंहराव के राजनीतिक सलाहकार थे।

बावजूद इसके, सन 2014 में....

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