<![CDATA[Lok Sabha Elections, Latest Loksabha News Hindi - Loksabhachunav]]> https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/ <![CDATA[Sonam Wangchuk Protest: अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक ने सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप, जानिए क्या कर रहे मांग]]> लद्दाख में पर्यावरणविद् और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक के नेतृत्व में कई समूह अपनी संस्कृति, भूमि और पर्यावरण की रक्षा के लिए संवैधानिक उपायों की सरकार से मांग की जा रही है। बीते 24 मार्च को वांगचुक ने एक वेबिनार में सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि लद्दाख के साथ एक कॉलोनी (उपनिवेश) की तरह व्यवहार किया जा रहा है। जहां बाहर के नौकरशाह संवेदनशील क्षेत्र से संबंधित सभी नीतियों को कंट्रोल कर रहे हैं। इस समय वांगचुक अपनी मांगों को लेकर राज्य में 21 दिनों के अनशन पर हैं।

संरक्षण की उम्मीद
वांगचुक ने कहा कि जब जम्मू-कश्मीर लद्दाख से अलग हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने जलवायु और यूनीक पर्यावरण के संरक्षण की उम्मीद लगाई। उन्होंने कहा कि सरकार ने तमाम बैठकों में इसका वादा किया था। सरकार द्वारा किए गए यह वादे, जनजातीय, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और कानून मंत्रालयों की बैठक तक सिमट कर रह गए।

सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप
वांगचुक ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को किए गए वादों की याद दिलाना अपराध बन गया है। वहीं विरोध करने पर लड़कों को उठाया जा रहा है और हिरासत में लिया जा रहा है। लेकिन अब यह पर्यावरण आंदोलन नहीं बल्कि सच्चाई और न्याय का मामला है। लेकिन सरकार अपने किए हुए वादों को पूरा नहीं कर रही है।

देश के लिए लद्दाख को बचाना महत्वपूर्ण
वांगचुक ने बताया कि हम सभी देख रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में क्या हो रहा है। वह सिर्फ इस इकोलॉजिकल आपदा को रोकना चाहते हैं। बता दें कि वह 21 दिनों से अनशन कर रहे हैं। जिसके बाद उनका एक गुट अनशन करेगा। वांगचुक ने बताया कि 10 दिनों तक महिलाएं अनशन करेंगी। इसके बाद भुक्षु, युवा और खाना बदोश। लद्दाख को बचाना देश के लिए काफी अहम है। क्योंकि एक तरफ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ चीन है। ऐसे में लद्दाख एक संवेदनशील क्षेत्र है।

वांगचुक ने सरकार से मांग की है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। जिसमें मेघालय, त्रिपुरा, असम और मिजोरम राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में प्रावधान है। इन क्षेत्रों के प्रशासन में यह स्थानीय समुदायों को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अनुमति देता है।
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Thu, 28 Mar 2024 19:02:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/sonam-wangchuk-sitting-on-hunger-strike-accused-government-of-breaking-its-promise-391127
<![CDATA[Lok Sabha Election 2024: कर्नाटक में BJP-JDS के बीच हुआ गठबंधन, अब राज्य में बढ़ सकती है कांग्रेस की टेंशन]]> देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक पार्टियों में हलचल शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने घोषणा करते हुए बताया कि कर्नाटक में दूसरे और तीसरे चरण में चुनाव होगा। राज्य में 26 अप्रैल को 89 सीटों पर दूसरे चरण का चुनाव होना है। इसके तहत कर्नाटक की 14 सीटों पर पहले चुनाव होना है। इसके बाद तीसरे चरण का मतदान 7 मई को 14 सीटों पर होना है।

कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 26 अप्रैल को 14 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण में चुनाव होगा। बाकी 7 मई को तीसरे चरण में 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है। राज्य में कुल 5.21 करोड़ वोटर हैं। जिनमें से 2.62 करोड़ पुरुष मतदाता और 2.59 करोड़ महिला मतदाता हैं।

बीजेपी
आपको बता दें कि साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने यहां से बड़ी जीत हासिल की थी। भाजपा ने 27 उम्मीदवार खड़े किए थे। वहीं 28 में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं साथ ही बीजेपी की सहयोगी सुमालता ने एक सीट से जीत हासिल की थी।

कांग्रेस
कांग्रेस ने साल 2019 में 21 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर खाता खोलने में कामयाब रही थी। मल्लिकार्जुन खड़गे को भी इस दौरान हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीतिक स्थिति में काफी बदलाव हुआ है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी। ऐसे में कांग्रेस लोकसभा के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है।

जेडीएस
इसके साथ ही जेडीएस ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। लेकिन उसे सिर्फ एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीएस कर्नाटक में तीन सीटों पर एनडीए गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। वहीं इस गठबंधन पर जेडीएस नेता ने एच.डी देवेगौड़ा, पीएम मोदी और बीजेपी नेतृत्व पर भरोसा जताया है। इस बार बीजेपी राज्य की 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
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Thu, 28 Mar 2024 18:55:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/alliance-between-bjp-jds-in-karnataka-now-tension-of-congress-may-increase-in-state-391124
<![CDATA[Lok Sabha Elections: यहां समझिए ओडिशा में BJP-BJD के बीच का सियासी गणित, कांग्रेस कर सकती है प्रदर्शन में सुधार]]> ओडिशा राज्य में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। ओडिशा में होने वाले दोनों चुनावों की तारीखों का चुनाव आयोग में ऐलान कर दिया। लोकसभा चुनाव की बात करें, तो देशभर में 7 चरणों में लोकसभा चुनाव होगा और ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों पर 4 चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया गया है। बता दें कि चार सीटों पर 13 मई, पांच सीटों पर 20 मई, छह सीटों पर 25 मई और छह सीटों पर 1 जून को मतदान होना है। वहीं ओडिशा राज्य में 13 मई और 20 मई को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है।

राजनीतिक दल
आपको बता दें कि राज्य में 21 लोकसभा सीटे हैं। पिछली बार राज्य में 4 चरणों में मतदान हुआ था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में नवनी पटनायक की बीजेडी ने 21 में 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल कर सकी थी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक होने के बाद भी सीएम पटनायक की पार्टी बीजेडी ने 21 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

बीजेडी
राज्य में 20 सालों से सीएम नवीन पटनायक सत्ता में बने हुए हैं। बता दें कि साल 2019 में हुए 147 सीटों वाले विधानसभा में बीजेडी को 117 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 16 और भाजपा को 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। 

कांग्रेस
पिछले 24 साल से कांग्रेस पार्टी ओडिशा में सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट आधार लगातार सिमटता जा रहा है। पिछली बार पार्टी को साढ़े तेरह फीसदी वोट मिले थे। बीजेडी और बीजेपी के बाद राज्य में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी हो गई है। वहीं इस बार मौका है कि कांग्रेस राज्य में अपने प्रदर्शन में सुधार कर सके। हांलाकि पार्टी के केंद्रीय नेता इसके लिए पहले से तैयार नहीं थे।

ओडिशा में कुल 3 करोड़ 32 लाख मतदाता हैं। यह मतदाता 21 लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। ओडिशा में 2.27% युवा वोटर हैं जबकि दिव्यांग 1.38% हैं। 80 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के प्रतिशत 2.06 है।
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Wed, 27 Mar 2024 20:36:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/understand-political-mathematics-between-bjp-bjd-in-odisha-congress-improve-its-performance-390977
<![CDATA[Lok Sabha Elections: ओडिशा में BJP-BJD में गठबंधन पर नहीं बनी बात, अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी भाजपा]]> देश में इस बार 18वीं लोकसभा के अलावा चार राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन चार राज्यों में एक राज्य ओडिशा भी है। संभावना जताई जा रही है कि राज्य में भाजपा और बीजेडी एक साथ गठबंधन में चुनाव लड़ सकती है। लेकिन अब मिली जानकारी के मुताबिक ओडिशा में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात पर कोई भी नतीजा नहीं आया। लिहाजा राज्य में बीजेपी और बीजेडी अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रही है।

BJP-BJD का गठबंधन
ओडिशा बीजेपी अध्यक्ष मनमोहन सामल ने इस बात की घोषणा खुद की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी। राज्य में 21 लोकसभा सीटों और 147 विधानसभा सीटों पर बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी। जिसे राज्य में बीजेपी के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। वर्तमान समय में राज्य में बीजेडी की सरकार है और नवीन पटनायक राज्य के मुखिया हैं।

बीजेपी अकेले लड़ेगी चुनाव
राज्य बीजेपी अध्यक्ष सामल ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 10 सालों से सीएम पटनायक के नेतृत्व में बीजेडी केंद्र की पीएम मोदी सरकार ने तमाम राष्ट्रीय महत्व के प्रसंगों में समर्थन देती आई है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में विकसित भारत और विकसित ओडिशा के लिए बीजेपी इस बार सभी 21 लोकसभा सीटों और 147 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।

चार चरणों में होंगे मतदान
ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों और 147 विधानसभा सीटों पर कुल चार चरणों में मतदान होंगे। 13 मई को पहले चरण का मतदान और इसी दौरान 28 विधानसभा सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे। वहीं 20 मई को 35 सीटों पर दूसरे चरण की वोटिंग होगी। 42 सीटों के लिए तीसरे चरण के मतदान 25 मई को होंगे और चौथे चरण को 42 सीटों पर 1 जून को मतदान होगा। वहीं 4 जून को इसके नतीजे जारी किए जाएंगे।
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Wed, 27 Mar 2024 19:37:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/there-no-talk-on-alliance-between-bjp-bjd-in-odisha-bjp-contest-alone-390969
<![CDATA[Arvind Kejriwal arrest: AAP लीगल सेल ने दिल्ली की अदालतों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया]]> आम आदमी पार्टी (आप) लीगल सेल ने 27 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की सभी जिला अदालतों में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
आप के लीगल सेल के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट संजीव नासियार ने इसकी पुष्टि की और कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में वकील दोपहर करीब 12:30 बजे सभी जिला अदालतों में इकट्ठा होंगे। नसीर बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के उपाध्यक्ष भी हैं।
आज होगा विरोध प्रदर्शन
नासियार ने एक वीडियो संदेश में कहा- “जिस तरह से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है उससे पता चलता है कि उनके खिलाफ एक साजिश है। इसलिए, वकील समुदाय ने कल दोपहर 12:30 बजे एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। हम अपनी अदालतों में इकट्ठा होंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे. हम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं, ”
 केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था 
 विरोध प्रदर्शन पटियाला हाउस कोर्ट, द्वारका कोर्ट, साकेत कोर्ट, कड़कड़दूना कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट और राउज एवेन्यू कोर्ट में किया जाएगा। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल केंद्रीय एजेंसी की हिरासत में हैं। ट्रायल कोर्ट द्वारा अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका 27 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी। 22 मार्च को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था।
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Wed, 27 Mar 2024 15:42:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/aap-legal-cell-calls-for-massive-protests-in-delhi-courts-390899
<![CDATA[Madhya Pradesh:कई बार बदली हैं सिंधिया राजपरिवार ने पार्टियां, आज भी सियासी दबदबा कायम है]]> सिंधिया राजपरिवार ने काफी समय से अपने गृह क्षेत्र में चुनावी लड़ाई में कई राजनीतिक दलों के बीच आसानी से चले जाते है अब इसी परंपरा को कायम रखतें हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। बस फर्क इतना है कि इस बार ईवीएम पर उनके नाम के आगे चुनाव चिन्ह कमल का होगा। बता दें कि, 53 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया विजया राजे सिंधिया के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत माधवराव सिंघिया के बेटे हैं। गुना लोकसभा सीट जो सिंधिया परिवार के गृह क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें ग्वालियर भी शामिल है। 
2019 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा था, उनके सामने काफी पुराने केपी यादव ने उन्हें लगभग 1.26 लाखस  वोटों के अंतर पर हरा दिया था। वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में सिंधिया फिर से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। इस बार वह भाजपा पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे।
माधवराव सिंधिया ग्वालियर से 5 बार चुने गए 
गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व राजमाता सिंधिया ने 6 बार किया, जबकि उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने 4 बार यहां से जीत हासिल की। गुना के अलावा राजमाता सिंधिया ने ग्वालियर से भी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं माधवराव सिंधिया ग्वालियर से 5 बार चुने गए। राजमाता सिंधिया की बेटी यशोधरा राजे ने भी बीजेपी के लिए दो बार लोकसभा में ग्वालियर सीट का प्रतिनिधित्व किया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए थे
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 से 2024 के बीच 4 बार गुना सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उपचुनाव में जीत भी शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव में हारने के एक साल बाद वह मार्च 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिससे मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
1984 में केंद्रीय मंत्री की बुआ और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भिंड लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर हार का सामना करना पड़ा था।
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Wed, 27 Mar 2024 14:18:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/loksabha-election-2024-jyotiraditya-scindia-ready-to-contest-lok-sabha-elections-390874
<![CDATA[External Affairs Minister: जानिए मोदी सरकार में कितनी बदली भारत की विदेश नीति, देश ने दिया कूटनीतिक कौशल का परिचय]]> केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में विश्व पटल पर भारत को नए सिरे से स्थापित किया। भारत की कूटनीति को पीएम मोदी ने काफी प्रभावित किया है। मोदी सरकार का विदेश नीति पर खास फोकस रहा। अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर मोदी सरकार स्पष्ट नजरिए के साथ आगे बढ़ रही है। साल 2019 से शुरू हुए पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में एस. जयशंकर विदेश मंत्री के तौर पर देश-दुनिया में चर्चा का केंद्र रहा। हांलाकि पीएम मोदी ने अपने दोनों की कार्यकाल में अपने विदेशी दौरों से भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर जो छाप छोड़ी, वह इतिहास के पन्नों में सुनहरे शब्दों में वर्णित होगी।

पीएम मोदी की सरकार ने भारत की विदेश नीति को नए आयाम देने का काम किया है। उनकी सरकार ने उन देशों के साथ देश के रिश्तों को मजबूत करने का काम किया, जो अब तक अनछुए रहे। इसके अलावा उन ताकतवर देशों के साथ भी आंखों में आंखे मिलाकर बात की। मोदी सरकार ने विदेश नीति में कठोरता और उदारता दोनों का जबरदस्त सामंजस्य बैठाने का काम किया। जहां तक देश के सामरिक हितों की बात है, तो मोदी सरकार ने अपना अलग रास्ता अपनाया। पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक का मामला हो, या फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो। हर मसले पर भारत ने अपनी कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया है।

मोदी की विशेष नीति
वर्तमान समय में विश्व की चुनौतियां अधिक हैं। चीन जहां बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है और उसका भारत को लेकर नजरिया भी आक्रामक रहा है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका पहले जितना ताकतवर नहीं रहा, जितना कि पहले होता था। ऐसे में भारत के लिए वर्तमान में जो चुनौतियां हैं, वह इतिहास में कभी नहीं रही। इसलिए पीएम मोदी की विदेश नीति में लचीलापन भी है और दूरदर्शिता भी है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान 22,000 से अधिक भारतीय छात्रों को विदेश सही-सलामत लाना हो, या फिर कतर में सजा पा चुके 8 भारतीय नौसैनिकों की रिहाई हो। मोदी सरकार कूटनीति में हर बार विजेता के रूप में उभरकर सामने आई। यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान भारत का रुख़ तटस्थ रहा। मोदी सरकार ने अमेरिका और रूस दोनों ही विरोधी देशों के साथ रिश्तों में निकटता बनाए रखी। यह मोदी सरकार की विदेश नीति का सबसे बड़ा कौशल था। वहीं रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने मतदान न कर अपने स्टैंड को अधिक मजबूत किया।

इसके अलावा भारत देश ने अमेरिकी दबाव से मुक्त होकर रूसी एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम ख़रीदे। इस मामले ने यह साबित कर दिया कि भारत अपने सामरिक संबंधों के मामले में स्वतंत्र है। भारत के इस फैसले का अमेरिका ने काफी विरोध किया। लेकिन भारत ने साबित कर दिया कि रक्षा सौदों के मामले में भारत अन्य किसी भी देश के दबाव में नहीं आएगा।

भारत के द्विपक्षीय संबंध कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ओमान और कतर से आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत रहे हैं। बता दें कि भारत ने कुछ समय पहले संयुक्त अरब अमीरात के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया। भारत ने 50 अरब डालर के द्विपक्षीय व्यापार के लिए हस्ताक्षर किए हैं। खाड़ी देशों में भारत की सबसे ज्यादा कामकाजी आबादी भी रहती है। जो हर साल भारत देश को 70-80 अरब डालर के बीच रकम भेजती है।
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Tue, 26 Mar 2024 20:11:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/know-india-foreign-policy-changed-under-modi-government-country-showed-diplomatic-skills-390817
<![CDATA[Andhra Pradesh Elections: क्या TDP-BJP के मोर्चे को रोकने में कामयाब हो पाएंगे CM जगन, समझें आंध्र का चुनावी समीकरण]]> लोकसभा चुनाव का मुकाबला आंध्र प्रदेश में जोर पकड़ रहा है। आंध्र प्रदेश में असेंबली की 175 सीटों के लिए लोकसभा की 25 सीटों के साथ ही वोट पड़ेंगे। बता दें कि राज्य के सीएम जगन मोहन रेड्डी और पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू के बीच असली मुकाबला होगा। जबकि बीजेपी के दक्षिण विजय अभियान के तहत पीएम मोदी और भाजपा प्रदेश अपने पैर जमाने का प्रयास कर रही है। इसके तहत भाजपा ने राज्य में अपने पुराने घटक दल टीडीपी और अभिनेता से नेता बने तेलुगु चेहरे पवन कल्याण की जनसेना पार्टी से हाथ मिलाते हुए प्रदेश में एनडीए गठबंधन के तहत राज्य में चुनाव लड़ने की योजना बनाई है।

वहीं अगर सीटों के तालमेल की बात की जाए, तो प्रदेश की कुल 25 सीटों में स 17 सीटों पर टीडीपी, 6 सीटों पर भाजपा और जनसेवा पार्टी 2 सीटों पर उतरेगी। वहीं पिछले दिनों में देश के प्रधानमंत्री ने राज्य में दौरा कर एक विशाल रैली की।

बड़े दलों को क्षेत्रीय दल का सहारा
प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों को अपनी जगह बनाने के लिए क्षेत्रीय दलों और चेहरों का सहारा लेना पड़ रहा है। क्योंकि पिछले चुनावों के आधार पर कांग्रेस और बीजेपी के पास जनाधार करीब एक-एक फीसदी है। साल 2014 में भाजपा और टीडीपी ने साथ मिलकर संयुक्त आंध्र प्रदेश की 42 सीटों के लिए गठबंधन में उतरी थी। टीडीपी ने 16, वाईएसआर कांग्रेस 9, भाजपा ने 3, बीआरएस ने 11, कांग्रेस ने 2 और AIMIM ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं साल 2018 में प्रदेश को विदेश दर्जे की मांग को लेकर टीडीपी ने बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए अपना रास्ता अलग कर लिया। हांलाकि YSR कांग्रेस संसद के अंदर NDA का हिस्सा न होते हुए भी अधिकतर मुद्दों पर सत्तारूढ़ दल के साथ दिखी।

YSR कांग्रेस
प्रदेश के मुख्यमंत्री और YSR कांग्रेस के मुखिया वाईआए जगन मोहन प्रदेश में अपनी कुर्सी बचाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने सरकार व सांसदों के प्रति एंटी इनकंबेंसी से निपटने के लिए जनकल्याण योजनाओं के साथ 27 मार्च से जनअभियान की शुरूआत की योजना बनाई है। यह यात्रा 21 दिन तक चलेगी। इसके अलावा सीएम जगन ने मौजूदा 22 सांसदों में 14 सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरे देने का प्रयास किया है।

टीडीपी और भाजपा
आंध्र प्रदेश में टीडीपी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। पार्टी चीफ चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर प्रदेश में सत्ता पाने की कोशिश में हैं। इस वजह से चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा और जनसेना पार्टी से हाथ मिलाया है। टीडीपी राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को शराब नीति और इंफ्रास्ट्क्चर विकास जैसे मुद्दों पर घेर रही है। भाजपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी और डी पुरंदेश्वरी जैसे चेहरे चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। 

यह उम्मीदवार प्रदेश के कापू और कम्मा समुदाय पर नजरें टिकाएं हैं। भाजपा को लगता है कि टीडीपी और जनसेवा पार्टी से हाथ मिलाने पर यह दोनों समुदाय साथ आ सकते हैं। क्योंकि नायडू कम्मा समुदाय से आते हैं जो पारंपरिक तौर से टीडीपी का समर्थन कर रहा है। राज्य में कप्पा समुदाय की आबादी 5% है। वहीं जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण कापू समाज से आते हैं, समाज में इनकी आबादी 18% है।

कांग्रेस
करीब एक दशक पहले तक आंध्र प्रदेश कांग्रेस का गढ़ रहा था। ऐसे में अपने गढ़ को बचाने के लिए पार्टी ने वाई एस राजशेखर रेड्डी की विरासत को साथ लेने की कोशिश की है। कांग्रेस पिछले 10 सालों से प्रदेश में अपने जनाधार को खोती जा रही है। ऐसे में पार्टी ने वाईएस शर्मिला पर अपना दांव लगाया है उनके हाथों में राज्य की कमान सौंपी है। क्योंकि शर्मिला ने कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया है। आपको बता दें कि शर्मिला चंद्रबाबू नायडू के बाद अपने भाई जगन मोहन की सबसे बड़ी आलोचक और प्रतिद्वंदी बन चुकी हैं। अब वह लगातार जगन मोहन सरकार को लगातार घेर रही हैं।

कांग्रेस पार्टी की नजर प्रदेश में वहां के 9.5 फीसदी मुस्लिम वोटों और सात फीसदी क्रिश्चियन वोटों पर हैं। क्रिश्चियन मत पर विश्वास करने वाला वाईएस रेड्डी परिवार से आने के नाते जगन मोहन की नजर भी मुस्लिम औऱ क्रिश्चियन वोट बैंक पर है। लेकिन कांग्रेस को लगता है कि शर्मिका का साथ मिलने से मॉइनॉरिटी वोट बैंक का बंटवारा दोनों पार्टियों के बीच हो जाएगा।
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Tue, 26 Mar 2024 17:39:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/will-cm-jagan-successful-in-stopping-tdp-bjp-front-understand-andhra-electoral-equation-390786
<![CDATA[Maharashtra: उद्धव ठाकरे की पार्टी के करीबी नेता को ED का समन, आज जारी हो सकती है लिस्ट]]> प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिवसेना (यूबीटी) गुट के नेता अनिल देसाई के कथित सहयोगी दिनेश बोभाटे को तलब किया है । अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। ईडी ने कहा, भोबाटे को इस सप्ताह ईडी के समक्ष उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। पिछले साल दिसंबर में सीबीआई ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के वरिष्ठ सहायक बोभाटे और उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था।
बोभाटे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामला का समन जारी 
ईडी ने सीबीआई के भ्रष्टाचार मामले के आधार पर बोभाटे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शुरू किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि बोभाटे और उनकी पत्नी ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।
3 मार्च को पुलिस ने अनिल देसाई से पूछताछ की थी
इससे पहले 3 मार्च को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल देसाई को तलब किया था। मुंबई पुलिस ने कहा कि देसाई 5 मार्च को शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के इस आरोप के संबंध में पूछताछ के लिए पेश हुए कि चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद भी उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी फंड वापस ले लिया।
पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे, जो उस समय उद्धव ठाकरे कैबिनेट में मंत्री थे, ने पार्टी में बगावत कर दी और भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री पद हासिल कर लिया, जिसके बाद पिछले साल जून में शिवसेना विभाजित हो गई। स्वयं उसके लिए। ईओडब्ल्यू इस बात की जांच कर रही है कि रकम कैसे निकाली गई और किसने निकाली। एजेंसी को संबंधित बैंक अधिकारी से निकासी का विवरण भी प्राप्त हुआ।
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Tue, 26 Mar 2024 14:59:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/ed-summons-alleged-aide-uddhav-thackerays-leader-to-anil-desai-390748
<![CDATA[Meghalaya Farmers: मेघालय सरकार ने किसानों के लिए किया बड़ा ऐलान, इस साल तक सरकार भरेगी प्रीमियम]]> मेघालय सरकार इन दिनों पूरी तरह से किसानों पर मेहरबान नजर आ रही है। रबी और खरीफ दोनों के फसलों पर राज्य सरकार ने 100 फीसदी तक की सीमा का प्रीमियम सहायता किसानों को दे रही है। बता दें कि मेघालय सरकार ने साल 2023-24 के लिए पीएम फसल बीमा योजना के लिए ऐलान किया है। राज्य के सभी किसानों के लिए यह योजना लागू की गई है। यह योजना प्रति किसान जो अधिसूचित क्षेत्रों में 1 एकड़ प्रति फसल तक नोटिफाइट फसलें उगा रहे हैं।

प्रदेश के सीएम के नेतृत्व में राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि सभी किसान केंद्रित अप्रोच के लिए रणनीति तैयार की जाए। जिससे कि फसलों के खराब होने के रिस्क को घटाया जा सके। किसान के इस रिस्क को कम करने के लिए किसान भाइयों के समर्थन में फ्री प्रीमियम सहायता दिए जाने का फैसला किया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रबी और खरीफ दोनों मौसमों की फसल को कवर करने के लिए प्रदेश सरकार किसानों को 4.4 करोड़ की प्रीमियम राशि का 100% तक अदा करेगी।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि राज्य की 80 फीसदी आबादी खेती पर ही निर्भर है। साल 2016 से खरीफ फसल के प्रभावी होने के बाद मेघालय में पीएम फसल बीमा योजना लागू की गई थी। इस योजना को लागू करने के पीछे सरकार का मुख्य मकसद अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं और घटनाओं के चलते फसल को हुए नुकसान से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता देना है। किसान भाइयों को इस योजना के तहत खरीफ फसलों के लिए 2 फीसदी, रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी और बागवानी फसलों के लिए 5 फीसदी प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।
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Mon, 25 Mar 2024 18:30:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/meghalaya-government-made-big-announcement-for-farmers-government-pay-premium-till-this-year-390647
<![CDATA[ उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ संभालेंगे चुनावी कमान, 5 दिन में करेंगे 15 प्रमुख सम्मेलन]]> लोकसभा 2024 चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना चुनाव अभियान तेजी से कर दिया है। पीएम मोदी तो चुनावी सभाओं का संबोधन प्रदेश में करेंगे ही मगर सीएम योगी यूपी में पार्टी की चुनावी कमान मुख्य रुप से संभालेंगे। बता दें कि, योगी 5 दिन में 15 प्रमुख सम्मेलनों के जरिए प्रबुद्ध वर्ग के बीच पार्टी की बात रखेंगे। वहीं पार्टी की ओर से इन प्रबुद्ध सम्मेलनों का कार्यक्रम तय हो गया है। दरअसल, पहले और दूसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव होना है, वहां सम्मेलनों का कार्यक्रम जारी किया गया है। योगी 27 मार्च से 31 मार्च के बीच पांच जिलों की 15 लोकसभा सीटों पर सम्मेलनों को संबोधित करेंगे।
पिछले सारे रिकार्ड तोड़ने का फैसला
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पिछले साल बड़ा रिकार्ड तौड़ा था, इस बार भी सारे रिकार्ड तोड़ने का फैसला किया है। यूपी में कुल सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करना है। भाजपा का समीकरण लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सामाजिक समीकरण साधने पर है। पार्टी जातिवार सामाजिक सम्मेलन करेगी। दरअसल, चुनावी माहौल बनाने के लिए भाजपा का यह प्रयोग पिछले लोकसभा और विधानसभा में चुनावों में काफी प्रभावशाली रहा था। प्रबुद्ध सम्मेलनो से फिर से पार्टी के लिए सियासी हवा बनाएगा।
वहीं पश्चिम यूपी की इन सभी सीटों पर होने वाले प्रबुद्ध सम्मेलनों में भाजपा के साथ रालोद की भी हिस्सेदारी रहेगी। 
मुख्यमंत्री इन स्थानों पर करेंगे सम्मेलन
सीएम 27 मार्च को माथुरा में 11, मेरठ में 1 और गाजियाबाद में 3 बजे से सम्मेलन संबोधित करेंगे। 28 मार्च को बिजनौर में 11 बजे, अमरोहा में 1 बजे और मुरादाबाद में 3 बजे संम्मेलन में शामिल होंगे। वहीं 29 मार्च को शामली, मुजफ्फर नगर और सहारनपुर, 30 मार्च को बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर और 31 मार्च को बरेली, रामपुर और पीलीभीत में सम्मेलन करेंगे।
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Sun, 24 Mar 2024 16:23:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/cm-yogi-adityanath-will-take-charge-of-election-in-uttar-pradesh-390514
<![CDATA[Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव की बिसात और कौन सी पार्टी किसके साथ, जानिए UP का चुनावी समीकरण]]> लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में होने वाली राजनीति का देश की राजनीति में बड़ा प्रभाव रहता है। इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि केंद्र में इस पार्टी की सरकार बनेगी, इसमें सबसे ज्यादा योगदान उत्तर प्रदेश का रहता है। यूपी भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। यूपी में करीब 24 करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं।
 
देश की कुल आबादी के 18 फीसदी लोग यूपी में रहते हैं। इस तरह से देश के राजनीतिक परिदृश्य को यूपी के मतदाता काफी हद तक प्रभावित करते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से उत्तर प्रदेश में किस पार्टी का क्या रुख है। किन राजनीतिक पार्टियों का यूपी में अच्छा खास प्रभाव है। 

यूपी में कितने राजनीतिक दल
आपको बता दें कि हाल ही में 26 विपक्षी दलों ने मिलकर INDIA नामक गठबंधन बनाया है। यह 2024 के चुनाव में NDA सरकार के सामने होगा। हांलाकि इस गठबंधन में शामिल कुछ दलों ने पहले ही अपना पाला बदल लिया है। फिलहाल यूपी की प्रमुख 4 राष्ट्रीय पार्टियां और 8 राज्य-स्तरीय पार्टियां हैं। जो लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही हैं।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन NDA में भाजपा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, अपना दल (सोनेलाल) और NISHAD पार्टी शामिल हैं। वहीं INDIA गठबंधन में समाजवादी पार्टी, जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), अपना दल (कमेरावादी),  महान दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल है। वहीं बसपा और AIMIM अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरेंगी।

किस राजनीतिक पार्टी का क्या रुख

बीजेपी
साल 2024 में भाजपा सत्ता में वापसी करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पार्टी राष्ट्रवाद, विकास और हिंदुत्व के मुद्दों पर चुनाव लड़ती है। बीजेपी का दावा है कि पार्टि ने यूपी में विकास करने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने का काम किया है। भाजपा उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटों पर कमल खिलने का दावा कर रही है।

समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में हैं। वह बीजेपी को हराने की पुरजोर कोशिश में है। सपा सामाजिक न्याय, गरीबों के कल्याण और किसानों के हितों के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। सपा पार्टी का दावा है कि भाजपा किसानों व गरीबों को अनदेखा कर रही है।

बसपा
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। ऐसे में लोकसभा चुनाव में बसपा अपनी खोई हुई जमीन फिर से वापस पाने का प्रयास करेगी। बता दें कि पार्टी पिछड़े और दलित वर्गों के हितों के मुद्दों को उठाकर चुनाव लड़ेगी।

कांग्रेस
साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी। कांग्रेस महिलाओं और युवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पार्टी का रोजगार, विकास और महंगाई के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। 

आरएलडी
बता दें कि 2024 के चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोक दल ने अपना पाला बदलकर बीजेपी से गठबंधन कर लिया है। पार्टी किसानों के हितों पर गरीबों के कल्याण के मुद्दे के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी।

आम आदमी पार्टी
उत्तर प्रदेश में आप पार्टी भी अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास करेगी। आप पार्टी शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी का दावा है कि बीजेपी भ्रष्ट पार्टी है और बीजेपी शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है।

फिलहाल उत्तर प्रदेश में बीजेपी सबसे मजबूत दावेदार है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में 312 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में आने के बाद बीजेपी 2024 में अपनी जीत दोहराने का प्रयास करेगी। यूपी में बीजेपी का मजबूत संगठन है। वहीं पार्टी के पास जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का एक बड़ा और अच्छा नेटवर्क भी है। वहीं यूपी में कई लोकप्रिय नेता हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और गृह मंत्री अमित शाह यूपी के लोकप्रिय नेता हैं।
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Sat, 23 Mar 2024 20:36:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/lok-sabha-election-chessboard-and-which-party-with-whom-know-electoral-equation-of-up-390430
<![CDATA[Kerala News: माकपा ने पीएम मोदी पर लगाया गंभीर आरोप, कहा- पीएम के करीब नहीं खड़ा हो सकता मुस्लिम]]> केरल के पलक्कड़ में पीएम मोदी ने रोड शो निकाला था। इस साल पीएम मोदी का केरल में यह पांचवा दौरा था। पीएम ने केरल में एक रोड शो और तमिलनाडु में जनसभा को संबोधित कर दक्षिण भारत के तूफानी दौरे का समापन किया। बता दें कि पीएम मोदी हेलिकॉप्टर से पलक्कड़ पहुंचे थे। इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं की भीड़ से घिरे बैरिकेड पर आधे घंटे तक रोड शो किया। प्रधानमंत्री के साथ पार्टी उम्मीदवार निवेदिता सुब्रमण्यन, सी कृष्णकुमार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन भी थे।

हांलाकि पीएम मोदी का रोड शो उस दौरान विवाद शुरू हुआ, जब सत्तारूढ़ एलडीएफ ने बीजेपी पर कार्यक्रम के दौरान 'एनडीए के मुस्लिम उम्मीदवार को दरकिनार' करने का आरोप लगाया गया। बीजेपी के मलप्पुरम उम्मीदवार एम अब्दुल सलाम मंच पर नहीं दिखे। वहीं रोड शो के कुछ घंटों बाद माकपा नेता ए के बालन ने आरोप लगाते हुए कहा कि मलप्पुरम निर्वाचन क्षेत्र से राजग कैंडिडेड सलाम को कार्यक्रम से दरकिनार कर दिया गया। जबकि घोषणा की गई कि वह इसका हिस्सा होंगे।

बालन ने दावा किया कि इससे गलत संदेश गया है कि पीएम मोदी के करीब एक मुस्लिम खड़ा नहीं हो सकता है। लेकिन सलाम ने इस बयान का खंडन करते हुए कहा कि कोई भेदभाव नहीं किया गया है। सलाम ने बताया कि उनको रोड शो में आमंत्रित नहीं किया गया था। वह सिर्फ पीएम मोदी से मिलने और मलप्पुरम में आमंत्रित करने के लिए रोड शो में पहुंच थे।

आपको बता दें कि बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 2 मार्च को 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 195 कैंडिडेट की पहली लिस्ट जारी की थी। बीजेपी द्वारा जारी की गई इस लिस्ट में सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार अब्दुल सलाम हैं। जिनको केरल के मल्लपुरम से उम्मीदवार बनाया गया है।
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Sat, 23 Mar 2024 18:03:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/cpim-made-serious-allegations-against-pm-modi-said-muslim-cannot-stand-close-to-pm-390403
<![CDATA[Odisha: ओडिशा में बीजेडी से गठबंधन नहीं, लोकसभा से लेकर विधानसभा तक अकेले चुनाव लड़ेगी बीजेपी]]> बीजेपी नवीन पटनायक की बीजेडी के साथ गठबंधन किए बिना लोकसभा और ओडिशा में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। बीजेपी ओडिशा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की कि बीजेपी-बीजेडी गठबंधन नहीं होगा। यह घोषणा गठबंधन की संभावना पर कई दिनों की अटकलों के बाद आई है क्योंकि भाजपा ओडिशा में अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि निर्णय अभी लिया जाना बाकी है।
पीएम मोदी की योजनाएं जमीनी स्तर तक नहीं पहुंची
पिछले 10 वर्षों से, ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) पार्टी, श्री नवीन पटनायक जी के नेतृत्व में, राष्ट्रीय महत्व के कई मामलों में केंद्र के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार का समर्थन करती रही है। इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। अनुभव से पता चला है कि देश भर में जहां भी डबल इंजन की सरकार रही है, वहां विकास और कल्याण कार्यों में तेजी आई है और राज्य हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। लेकिन आज मोदी की अनेक कल्याणकारी योजनाएं सरकार ओडिशा में जमीन पर नहीं पहुंच रही है, जिसके कारण ओडिशा के गरीब बहनों और भाइयों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। हमें ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा-गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े कई मुद्दों पर चिंता है।" प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने पत्र लिखकर बताया कि बातचीत में भाजपा-बीजद गठबंधन क्यों नहीं निकला।
"माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, विकसित भारत और विकसित ओडिशा बनाने के लिए, ओडिशा के 4.5 करोड़ लोगों की आशाओं, इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सभी 21 सीटें जीतेगी।" बयान में कहा गया, ''लोकसभा और विधानसभा की सभी 147 सीटों पर भाजपा अकेले चुनाव लड़ेगी।''
बीजेडी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की
बीजद ने घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि वह ओडिशा के लोगों के समर्थन और भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से चुनाव में जाएगी। “भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद और ओडिशा के लोगों के विश्वास के साथ, बीजद राज्य की सेवा कर रहा है और इसे हर क्षेत्र में पहले से कहीं बेहतर बना रहा है। बीजद ओडिशा के लोगों के समर्थन से सभी 147 विधानसभा क्षेत्रों और सभी 21 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी और श्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में तीन चौथाई से अधिक सीटें जीतेगी। बीजद विधायक प्रणब प्रकाश दास ने एक्स पर पोस्ट किया, बीजद ओडिशा के लोगों को हमेशा सबसे आगे रखते हुए और सहकारी संघवाद और राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक राज्य कौशल की सच्ची भावना के तहत उनके कल्याण को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना जारी रखेगा।
2009 में भाजपा और बीजेडी अलग हो गए
बीजेडी को गठबंधन की उम्मीद थी क्योंकि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सहयोगी वीके पांडियन ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी और बीजेडी के बीच बातचीत राजनीति से परे है क्योंकि न तो मोदी और न ही पटनायक को दोबारा चुने जाने के लिए गठबंधन की जरूरत है। 1998 से 2009 तक 10 वर्षों तक गठबंधन में रहने के बाद 2009 में भाजपा और बीजेडी अलग हो गए।
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Sat, 23 Mar 2024 12:23:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/no-alliance-with-bjd-in-odisha-pm-modis-schemes-not-reach-the-grassroots-level-390307
<![CDATA[Tribal Affairs: आदिवासियों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने उठाए कई अहम कदम]]> पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए 89 हजार रुपए खर्च कर रही है। केंद्र सरकार पिछड़े वर्ग और आदिवासियों के कल्याण के लिए संकल्पित है। इसकी एक झलक तब देखने को मिली, जब केंद्रीय बजट 2023-2024 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जनजातीय मामलों के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए। वहीं पिछले साल से के मुकाबले यह राशि पांच गुना अधिक थी। वहीं केंद्र सरकार ने 1,32,000 करोड़ रुपये आदिवासी कल्याण पर खर्च किए गए हैं।

आपको बता दें कि मोदी सरकार में आदिवासी समुदाय के विकास के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मोदी सरकार के प्रयासों के कारण ही यूएन ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। मिलेट्स में कई पोषक गुण हैं, जिसका फायदा देश के आदिवासी समुदाय को हुआ। वहीं पिछले 8 सालों में मोदी सरकार ने आदिवासी कल्याण के लिए बजट में काफी बढ़ोतरी की। साल 2014 में जहां 19000 करोड़ बजट का प्रावधान किया जाता था। वह भाजपा सरकार में बढ़कर 91 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया। 

वहीं मोदी सरकार ने आदिवासियों के गौरव के लिए बिरसा मुंडा की जयंती को 'आदिवासी गौरव दिवस' मनाया जाने लगा। साथ ही देश भर में 10 आदिवासी म्यूजियम भी खोले। वहीं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। वहीं मोदी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों के आदिवासी नायकों को भी चिह्नित किया। इसके साथ ही स्थानीय भाषाओं को भी बढ़ावा दिया गया। आदिवासी समुदाय को इसका भी फायदा मिल रहा है। 

इसके अलावा जनजातीय समुदाय के लोगों को मोदी सरकार की विभिन्न लाभार्थी योजनाओं का फायदा मिला। जनजातीय इलाकों का विकास होने के कारण देश में नक्सली समस्याओं पर भी नकेल कसी जा चुकी है। आदि समाज को सशक्त करने के लिए कई राजनीतिक और सामाजिक कदम भी उठाए गए। 

बता दें कि साल 2014 से 2022 तक मोदी सरकार ने 500 से अधिक एकलव्य स्कूल स्वीकृत किए हैं। इनमें से करीब 400 से अधिक स्कूलों में पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। इन स्कूलों में करीब 1 लाख से अधिक जनजातीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं आज अलग-अलग राज्यों में 80 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्फ ग्रुप काम कर रहे हैं। इनमें से करीब सवा करोड़ से अधिक सदस्य जनजातीय समाज से हैं और इनमें महिलाएं भी बड़ी संख्या शामिल है।
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Fri, 22 Mar 2024 21:48:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/modi-government-took-many-important-steps-for-the-welfare-of-tribals-390255
<![CDATA[Lok Sabha Elections: बंगाल में BJP के बढ़ते जनाधार से TMC कैसे पाएगी पार, CPIM औऱ कांग्रेस को भी लग सकता है झटका]]> इस बार लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की धरती पर सियासत का रुख तय होने वाला है। जब राज्य में भाजपा का उत्थान हुआ, तो पश्चिम बंगाल की सियासत में बड़े बदलाव देखने को मिल हैं। एक तरह लेफ्ट कमजोर हुआ, तो वहीं भाजपा उतनी ही मजबूती से खड़ी होती दिखी है। स्थिति यह है कि राज्य में टीएमसी सत्ता में है, तो वहीं बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी बन चुकी है। ऐसे में राज्य की सारी जानकारी रखना बेहद दिलचस्प का हो जाता है।

पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीट हैं। साथ ही यहां पर तीन मुख्य पार्टियां TMC, BJP और सीपीएम है। हांलाकि राज्य में टीएमसी का दबदबा रहता है। राज्य में लोकसभा की कुल 42 सीटों पर 7 चरणों में वोटिंग होगी। पहले चरण में 19 अप्रैल को लोकसभा की तीन सीटों पर चुनाव होगा। 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 3 सीटों पर वोटिंग होगी। तीसरे चरण में 7 मई को चार सीटों पर वोटिंग और चौथे चरण में 8 सीटों पर 13 मई को वोटिंग होगी। पांचवे चरण में सात सीटों पर 20 मई को वोटिंग होगी और आखिरी चरण में राज्य की 9 सीटों पर 1 जून को वोटिंग होगी।

सर्वे में कई राज्यों में भाजपा को फायदा नजर आ रहा है। ओपिनियन पोल के मुताबिक भाजपा को इस बार 26 सीटें मिल सकती है। वहीं टीएमसी को 16 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। बाकी लेफ्ट और कांग्रेस को एक भी सीट मिलती नजर नहीं आ रही है। वहीं अगर वोट प्रतिशत की बात करें, तो भाजपा को बंगाल में करीब 39 फीसदी वोट मिल सकते हैं। साथ ही टीएमसी को 36 फीसदी वोट मिल सकता है। कांग्रेस को 8 तो वहीं लेफ्ट को 5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। 

जानिए 2019 के नतीजे
यदि आप साल 2019 के नतीजों की बात करें तो भाजपा को 18 सीटें मिली थीं। वहीं इस बार 8 सीट का फायदा हो सकता है। वहीं टीएमसी को 2019 में 22 सीटें मिली थीं। कांग्रेस पार्टी को 2 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार यानी की साल 2024 में इस बार पार्टी मायूस हो सकती है।

टीएमसी और कांग्रेस के बीच नहीं बन पाई बात
बता दें कि शुरूआत में ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत आगे बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन समय नजदीक आने के साथ ही सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस को झटका दे दिया। राज्य की सभी 42 सीटों पर बनर्जी ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। ऐसे में अब कांग्रेस और सीपीआईएम के बीच गठबंधन के आसार नजर आ रहे हैं। पिछली बार की तरह ही इस बार बंगाल में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी का सीधा सामना ममता बनर्जी की टीएमसी से होने वाला है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर हुई थी।
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Fri, 22 Mar 2024 20:41:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/how-tmc-overcome-increasing-support-base-of-bjp-in-bengal-cpim-and-congress-also-get-shock-390253
<![CDATA[Meghalaya Politics: मेघालय कांग्रेस के अध्यक्ष ने दिया अहम बयान, कहा- भाजपा का साथ छोड़ने पर NPP को देंगे समर्थन]]> मेघालय के जनजातीय परिषद में कांग्रेस के बीजेपी की गठबंधन साथी NPP का समर्थन करने के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस ने कहा कि NPP का साथ देने के लिए तैयार है। इस पर भाजपा ने पलटवार किया तो वह डर रही है। कांग्रेस मेघालय चीफ और सांसद विनसेंट एच पाला ने बताया कि उनकी पार्टी कोनराड संगमा की एनपीपी वाले मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस को समर्थन देने के लिए तैयार है। लेकिन इसमें भाजपा नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी खुश होगी, यदि 28 विधायकों वाली NPP को 2 MLA वाली भाजपा के साथ संबंध तोड़ने के लिए वह मना सकें। सांसद विनसेंट एच पाला ने कहा कि NPP अगर राज्य में बीजेपी का साथ छोड़ती है, तो वह उनके साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि खाली हिल्स स्वायत्त जिला परिषद के कांग्रेस सदस्यों ने NPP को समर्थन देने पहले पार्टी की मंजूरी ली थी। इसके बाद ही फैसला लिया था।

दरअसल, KHADC में कांग्रेस ने NPP का साथ किया था। कांग्रेस ने 5 MDC के साथ यूडीपी के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस के खिलाफ एनपीपी का समर्थन किया था। कांग्रेस के बयान पर भाजपा प्रवक्ता एम. खरक्रांग ने कहा कि यह एक पब्लिसिटी स्टंट है। यह कांग्रेस का डर है कि भाजपा के खिलाफ ऐसे बयान दे रही है।
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Thu, 21 Mar 2024 20:21:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/meghalaya-congress-president-gave-important-statement-said-support-npp-if-it-leaves-bjp-390067
<![CDATA[Lok Sabha Elections: YRS कांग्रेस की आंधी में कैसी टिक पाएगी BJP-TDP, समझिए यहां के चुनावी समीकरण]]> उत्तर की तरह ही दक्षिण में भी बीजेपी अनुकूल माहौल बनाने में जुटी है। वहीं तेलुगु देशम पार्टी के रूप में एक अनुभवी और अच्छा साथी मिलने से NDA के जान में जान आ गई है। वहीं पवन कल्याण की सेना पार्टी की ऊर्जा भी NDA के वोटों में वृद्धि कर सकती है। यह तीनों पार्टियां मिलकर YSR कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिससे TDP की खिसकती जमीन को एक बार फिर आधार मिल सकता है। साल 2014 में प्रदेश के विभाजन ने राज्य की राजनीति को गहरे तरीके से प्रभावित किया है। वहीं जगन मोहन के उभार ने कांग्रेस का सफाया और TDP को कमजोर कर दिया है।

आपको बता दें कि राज्य में लोकसभा की 25 और राज्यसभा कि 175 सीटें हैं। वहीं लोकसभा और राज्यसभा साथ में कराए जाते हैं। जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में राज्य में पांच वर्षों से YSR कांग्रेस की सरकार है। विपक्ष की भूमिका TDP कर रही है। इस पार्टी का नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू करते हैं। साल 2018 के पहले TDP भी NDA की घटक होती थी। लेकिन प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने की वजह से केंद्र पर वादाखिलाफी का आरोप लगाने हुए करीब 6 साल पहले TDP ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया था। 

संयुक्त आंध्र प्रदेश में बीजेपी की कहानी
साल 1998 से संयुक्त आंध्र प्रदेश में भाजपा की कहानी शुरू होती है। TDP से दोस्ती कर पहली बार संयुक्त आंध्र प्रदेश में चार सीटें जीती थीं और 18% वोट मिले थे। वहीं TDP के सहारे साल 1999 में बीजेपी ने 10% वोट शेयर के साथ 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2004 और 2009 में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी। फिर साल 2014 में बीजेपी और टीडीपी मिलकर चुनाव लड़े और दोनों पार्टियों को सीट और वोट का लाभ मिला। इस दौरान बीजेपी के 3 सांसद और 9 विधायक जीतकर आए।

वर्तमान आंध्र प्रदेश के हिस्से में टीडीपी को 25 और बीजेपी को 2 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। साल 2019 के चुनाव में बीजेपी और टीडीपी के अलग होने से दोनों ही पार्टियों को क्षति पहुंची थी। जहां टीडीपी 3 सीटों पर तो भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका।

फीकी पड़ रही चंद्रबाबू की चमक
चंद्र बाबू नायडू का भी एक दौर रहा है और वह तीन बात प्रदेश के सीएम रह चुके हैं। सितंबर 1995 से मई 2004 तक उन्होंने लगातार 2 बार राज्य की सत्ता संभाली। फिर तेलंगाना राज्य बनने के बाद जून 2014 से मई 2019 तक चंद्रबाबू सीएम रहे। हांलाकि अब वह पहली की तरह प्रभावी नहीं रह गए। राज्य के विभाजन के बाद सिर्फ एक बार 2019 में चुनाव हुआ है। लेकिन इस दौरान चंद्रबाबू अपने प्रतिद्वंदी जगन मोहन के सामने टिक नहीं पाए। वहीं इस बार का चुनाव चंद्रबाबू के अस्तित्व से जुड़ा है। 

राज्य में कांग्रेस का दबदबा
प्रदेश में कभी टीडीपी और कांग्रेस का ही दबदबा था। आंध्र प्रदेश की सत्ता से टीडीपी के संस्थापक एनटी रामाराव ने कांग्रेस को पहली बार 1983 में बाहर किया था। NTR के दामाद चंद्रबाबू ने साल 1995 में टीडीपी का नेतृत्व संभाला था। फिर साल 2009 तक टीडीपी और कांग्रेस में मुकाबला होता रहा। लेकिन YRS कांग्रेस के गठन के साथ ही कांग्रेस निस्तेज होती गई। राज्य की राजनीति में करीब 6 दशकों तक प्रभावी रहने वाली कांग्रेस पार्टी को साल 2014 में विधानसभा की 21 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। 

वर्तमान समय में प्रदेश में न तो कांग्रेस के सांसद हैं और न ही कोई विधायक। वहीं पार्टी का वोट प्रतिशत 1.17% पर सिमट कर रह गया। हांलाकि जगन मोहन की छोटी बहन वाइएस शर्मिला अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर पार्टी को प्रदेश में संजीवनी देने में जुटी है।

जगन को रोकना नहीं है आसान
जगन मोहन के पिता राजशेखर कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। राजशेखर ने साल 2004 और 2009 में कांग्रेस को राज्य में सत्ता दिलाई थी। लेकिन 2009 में उनके निधन के बाद जगन की कांग्रेस में उपेक्षा होने के चलते उन्होंने 2011 में YRS कांग्रेस नाम से नई पार्टी बना ली। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता TDP को मिली थी। लेकिन जगन मोहन के प्रदर्शन से यह पूरी तरह से साफ हो गया था कि प्रदेश की राजनीति करवट लेने वाली है। जगन मोहन को पहले ही चुनाव में 28% वोट के साथ 70 विधानसभा सीटें मिल गई थीं और 9 लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में जगन मोहन के सभी विरोधी फीके पड़ गए थे। इस दौरान YRS कांग्रेस को 151 सीटों पर जीत मिली और लोकसभा में 22 सीटें प्राप्त हुईं।
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Thu, 21 Mar 2024 19:49:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/how-bjp-tdp-survive-in-storm-of-yrs-congress-understand-electoral-equation-here-390063
<![CDATA[Arunachal Pradesh: चीन के दावे पर अमेरिका ने कहा- "अरुणाचल प्रदेश को भारत का क्षेत्र है"]]> भारत के अरुणाचल प्रदेश पर चीन काफी समय से नजर गड़ाए हुए है। काफी समय से चीन अपने मनचित्र में अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बता देता है। पिछले 9 मार्च को पीएम मोदा की यात्रा के बाद चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करने लगा था, चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र बता रहा था लेकिन अब चीन के इस दावे पर अमेरिका ने दो टूक सुनाई।
अमेरिका के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और LAC के पार क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से विरोध करता है। 
पीएम मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के बाद आया था बयान
इस सप्ताह की शुरुआत में, चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल झांग ज़ियाओगांग ने कहा कि ज़िज़ांग का दक्षिणी भाग (तिब्बत का चीनी नाम) चीन के क्षेत्र का एक हिस्सा है, और बीजिंग तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी स्वीकार नहीं करता और दृढ़ता से विरोध नहीं करता"।  चीन अपने दावों को उजागर करने के लिए नियमित रूप से भारतीय नेताओं के राज्य दौरों पर आपत्ति जताता रहता है। बीजिंग ने इस क्षेत्र का नाम  जंगनान भी रखा है।
9 मार्च को, प्रधान मंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया, जो रणनीतिक रूप से स्थित तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और सीमांत क्षेत्र में सैनिकों की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित करने की उम्मीद है।
अमेरिका और चीन के आपसी संबंध खराब
चीन के इस बयान के बाद बीते बुधवार को अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से बयान जारी हुआ है। जिसमें कहा गया था  कि "संयुक्त राज्य अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और हम घुसपैठ या अतिक्रमण, सैन्य या नागरिक, द्वारा क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा प्रयास का दृढ़ता से विरोध करते हैं।" बता दें कि इस सबके बाद चीन और अमेरिका के बीच संबंध में खराब हो चुका है।
विदेश मंत्रालय ने की चीन पर की टिप्पणी
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र पर "बेतुके दावों को आगे बढ़ाते हुए" की गई नवीनतम टिप्पणियों पर ध्यान दिया है और कहा है कि राज्य " अरुणाचल प्रदेश भारत अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा" और भारत का अभिन्न अंग हैं।
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Thu, 21 Mar 2024 15:26:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/us-on-chinas-claim-america-said-arunachal-pradesh-is-the-territory-of-india-389988
<![CDATA[PM Awas Yojana: मोदी सरकार में बदली शहरी विकास की सूरत, पीएम आवास योजना के तहत लाखों लोगों को मिला घर]]> प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा शहरी गरीबों को छत उपलब्ध कराने वाली पीएम आवास योजना की चुनावी साल में काफी तेज रफ्तार है। हर महीने करीब 1 से 2 लाख लोगों को आवास दिया जा रहा है। आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि मोदी सरकार में शहरी विकास की सूरत पूरी तरह से बदल चुकी है। क्योंकि साल 2004 से 2014 में रही सरकार के मुकाबले यह करीब 12 गुना बढ़ गया है।

स्वीकृत हुए 1.18 करोड़ घर
पुरी ने उदाहरण देते हुए कहा कि पीएम आवास योजना के तहत 1.18 करोड़ घर स्वीकृत किए गए हैं। यह जेएएनयूआरएम और राजीव आवास योजना के मुकाबले नौ गुना से ज्यादा है। एक साल में करीब 12 लाख से ज्यादा आवास निर्मित किए गए। इस तरह से देखा जाए तो हर महीने औसतन एक लाख लोगों को घर दिए जा रहे हैं। जोकि एक बड़ी संख्या है। क्योंकि दस सालों में संप्रग सरकार द्वारा सिर्फ 13.46 लाख घर आवंटित किए जा सके थे।

मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक निर्माण और लाभार्थियों को घर दिए जाने की रफ्तार को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल बीस लाख लोगों को आवास दिए जा सकते हैं। वहीं पिछले साल इस योजना के तहत राज्यों और लाभार्थियों को दस हजार करोड़ रुपये देने का लक्ष्य भी पार कर लिया गया है। पीएम आवास योजना 31 दिसंबर तक चलनी है। इस योजना के क्रियान्वयन में सबसे अच्छे प्रगति गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने की है। इसके अलावा शहरों में आवासीय समस्या को दूर करने के लिए पीएम मोदी ने सभी के लिए नई आवासीय योजना की घोषणा की है।

हरदीप पुरी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के नियम-कायदों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। साथ ही इसे किसी भी समय लॉन्च किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि यह क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम होगी। इसके तहत सरकार रियायती कर्ज उपलब्ध कराएगी। शहरी परिवेश के लिए एक अन्य अहम योजना पीएम स्वनिधि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत हर महीने हर महीने रेहड़ी-पटरी वालों को दो लाख वितरित किए जा रहे हैं। वहीं शहरों में स्ट्रीट वेंडर को संस्थागत रूप देने के लिए सरकार की तरफ से यह बड़ा कदम उठाया गया है। पीएम स्वनिधि के लाभार्थियों की संख्या 58.89 लाख के पार हो गई है।
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Wed, 20 Mar 2024 21:21:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/face-of-urban-development-changed-under-modi-government-lakhs-of-people-got-houses-389876
<![CDATA[Lok Sabha Election 2024: क्या राजस्थान में गहलोत-पायलट रोक पाएंगे मोदी मैजिक, जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण ]]> इन दिनों देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर घमासान जारी है। भले ही पिछले दो राजस्थान लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन इस बार कांग्रेस अपनी पूरी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
 
साल 2014 के बाद से कांग्रेस का प्रदर्शन लोकसभा में इतना निराशाजनक रहा कि वह अपने बल पर नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी नहीं पा सकी। हांलाकि इस बार कांग्रेस पर जनता की निगाहें टिकी हुई हैं, ऐसे में उम्मीदें जताई जा रही हैं कि क्या सबसे पुराना दल अपने बूते सेंचुरी लगा पाएगा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या घटक दलों के साथ मिलकर कांग्रेस मोदी का रथ रोक पाएगा। या फिर विपक्ष में ही उसे बैठना होगा।

बीजेपी
लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने अच्छे परिणाम को लेकर आश्वस्त है। बीजेपी का मानना है कि पूरे देश में मोदी लहर का प्रभाव है। इस स्थिति में NDA 400 से अधिक सीटें हासिल करेगी। वहीं भाजपा को पीएम मोदी की रैलियां और चुनावी कैंपेन को लेकर भी पूरी तरह से आश्वस्त है। पीएम मोदी के कैंपन से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने में बड़ी सहायता है। बीजेपी बूथ स्तर पर लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी मजबूत रणनीति के तहत काम कर रही है।

कांग्रेस
राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस को अपने दिग्गज अशोक गहलोत औऱ सचिन पायलट से काफी आस है। राज्य में चुनावी कैम्पेन का दारोमदार पायलट और गहलोत दोनों के कंधों पर टिका है। हांलाकि दोनों ही नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस इन दोनों नेताओं की प्रतिभाओं को हथियार बनाकर चुनावी मैदान फतह करना चाहती है।

भाजपा को मिलेगी कड़ी टक्कर
लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा भले ही मिशन 25 को लेकर काम करने में जुटी है। ऐसे में पार्टी का दावा है कि वह इन सभी 25 सीटों पर जीत हासिल करेगी। लेकिन सियासी चर्चाओं की मानें तो इस बार भाजपा के लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि राजस्थान लोकसभा की कई सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को कांग्रेस से कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। करीब 1 दर्जन के अधिक सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।
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Wed, 20 Mar 2024 21:01:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/will-gehlot-pilot-able-to-stop-modi-magic-in-rajasthan-know-what-election-equations-389875
<![CDATA[Tamil Nadu: PM Modi ने कांग्रेस और डीएमके गठबंधन की आलोचना की, भ्रष्टाचार के मुद्दों को उजागर किया]]> प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार को तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके पर दोहरे प्रहार के साथ प्रचार अभियान चलाया , उन्हें "एक ही सिक्के के दो पहलू" कहा और आश्चर्य जताया कि वे हर अवसर पर हिंदू धर्म का "अपमान" क्यों करते हैं, लेकिन कुछ भी कहने से बचते हैं। अन्य धर्मों के बारे में “भारत गठबंधन बार-बार और जानबूझकर हिंदू धर्म का अपमान कर रहा है। वे हिंदू धर्म के बारे में विचार रोप रहे हैं... हम इसे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं, हम इसे कैसे अनुमति दे सकते हैं? शक्ति को मिटाने के लिए निकले लोग नष्ट हो जाएंगे। उनका अंत 19 अप्रैल (तमिलनाडु में मतदान के दिन) से शुरू होगा। मोदी ने उन सभी बातों को उजागर करना शुरू कर दिया जो उन्होंने कहा था कि टीएन में दोनों पार्टियों के गठबंधन में बुनियादी तौर पर गलतियां थीं।
डीएमके-कांग्रेस का मतलब है बड़ा भ्रष्टाचार- पीएम मोदी
उन्होंने कहा, ''डीएमके-कांग्रेस का मतलब है बड़ा भ्रष्टाचार, डीएमके-कांग्रेस का मतलब है एक परिवार का शासन।'' “केंद्र में कांग्रेस की हार ने भारत को 5जी तकनीक की ओर प्रगति करने की अनुमति दी। लेकिन तमिलनाडु में, DMK अपनी 5G योजना चला रही है, जो मूल रूप से एक परिवार है जो पांचवीं पीढ़ी के लिए राज्य पर अपनी पकड़ बनाए हुए है।
पीएम ने कहा कि यह वही '5जी परिवार' है जिसने कभी 2जी घोटाले से 'भारत का नाम बदनाम' किया था। “अगर मुझे DMK के कुकर्मों को सूचीबद्ध करना हो, तो इसमें पूरा दिन लग जाएगा। केंद्र में हमारी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार टीएन के विकास के लिए करोड़ों रुपये भेज रही है, लेकिन यह सब द्रमुक शासन द्वारा लूट लिया गया है। ”
सेलम में था पीएम मोदी का संबोधन
सोमवार को तेलंगाना के जगतियाल और कर्नाटक के शिवमोग्गा में जहां उन्होंने छोड़ा था, वहां से शुरू करते हुए मोदी ने कहा कि अगले महीने से शुरू होने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और डीएमके जैसे उसके सहयोगियों का सफाया होना तय है। मोदी की सलेम यात्रा में उन्होंने एनडीए सहयोगी और पीएमके संस्थापक एस रामदास, उनके बेटे और पार्टी अध्यक्ष अंबुमणि रामदास, पूर्व अन्नाद्रमुक समन्वयक ओ पन्नीरसेल्वम, एएमएमके संस्थापक टीटीवी दिनाकरन और तमिल मनीला कांग्रेस अध्यक्ष जीके वासन के साथ मंच साझा किया । रैली के मौके पर तय हुए समझौते के तहत पीएमके तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से 10 पर चुनाव लड़ेगी।
जयललिता के अलावा, उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता के कामराज और तमिल मनीला कांग्रेस के संस्थापक जीके मूपनार का नाम लिया। मोदी ने कहा, ''मूपनार प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन कांग्रेस के पारिवारिक शासन ने उन्हें इस पद तक पहुंचने से रोक दिया।''
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Wed, 20 Mar 2024 15:08:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/pm-modi-criticized-congress-and-dmk-alliance-389807
<![CDATA[Lok Sabha Elections: AAP और कांग्रेस मिलकर दिल्ली में बढ़ा सकती हैं BJP की टेंशन, समझिए लोकसभा का चुनावी समीकरण]]> आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली और अन्य राज्यों में समझौता हो गया है। वहीं दिल्ली में आप पार्टी और कांग्रेस के बीच समझौता हो गया है। बता दें कि दिल्ली में 4-3 के फॉर्मूले पर बात बनी है। दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं। जिनमें से 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी और 3 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली पर आप पार्टी चुनाव लड़ेगी। 

वहीं कांग्रेस पार्टी उत्तर-पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक और उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारेगी। हांलाकि अभी सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन आप और कांग्रेस के साथ में आने के बाद भाजपा की चुनौती बढ़ना तय है। ऐसे में यह भी जानना बेहद दिलचस्प होगा कि आप और कांग्रेस के साथ में आने से दिल्ली की किन सीटों पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

आपको बता दें कि दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दिल्ली में 57% वोट मिले ते। जिसके परिणामस्वरूप सभी 7 सीटें भाजपा के खाते में चली गईं। इस चुनाव में कांग्रेस को आप पार्टी के मुकाबले अधिक वोट मिले थे। साल 2019 के आम चुनाव में जहां आप को 18 फीसदी तो कांग्रेस को 23 फीसदी वोट हासिल हुए थे। ऐसे में अगर दोनों पार्टियों का वोट शेयर जोड़ दें, तो यह आंकड़ा 41 फीसदी के पास पहुंचता है।

ऐसे में कांग्रेस और आप पार्टी को उम्मीद है कि वह दोनों एक साथ आकर वोटर्स को अपनी तरफ खींच सकते हैं। जिसका असर सीटों पर भी देखने को मिलेगा। लेकिन साल 2019 के चुनावों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा को मिलकर हराना मुश्किल है। लेकिन अगर आप 2014 के चुनाव नतीजों पर नजर डालेंगे तो भाजपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। क्योंकि साल 2014 में भाजपा को 46.6 फीसदी वोट मिले। वहीं आम आदमी पार्टी 33.1 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। जबकि कांग्रेस को इस दौरान 15.2 फीसदी वोट मिले थे।

ऐसे में अगर आप कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत को मिलाते हैं, तो यह 48 फीसदी से अधिक हो जाता है। जो कि भाजपा को मिले 46 फीसदी से ज्यादा है। वहीं दिल्ली की राजनीति में इन 10 सालों में काफी बदलाव देखने को मिला है। जहां दिल्ली में आप पार्टी की स्थिति काफी ज्यादा मजबूत हुई है, तो वहीं कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हुई है। क्योंकि दिल्ली विधानसभा और नगर निगम के चुनाव में कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला था। लेकिन कांग्रेस के लिए राहत इस बात की थी कि पिछले लोकसभा चुनाव में उसे आप पार्टी से अधिक वोट मिले थे।

विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के गठन के बाद सबसे बड़ा सवाल यह था कि आप और कांग्रेस एक साथ कैसे आएंगे। हांलाकि एक समय ऐसा भी आया जब आप पार्टी की तरफ से यह ऐलान किया गया कि वह गठबंधन के साथ तभी आएंगे, जब केंद्र की ओर से लाए गए बिल का कांग्रेस विरोध करे। वहीं दिल्ली कांग्रेस के नेया यह भी कह रहे थे कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया बिल ठीक है और कांग्रेस को साथ नहीं आना चाहिए। 

हांलाकि दिल्ली पर आए इस बिल पर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का साथ दिया। न सिर्फ संसद के भीतर बल्कि बाहर भी कांग्रेस पार्टी मजबूती के साथ आप पार्टी के साथ खड़ी रही। बिल पास हो गया पर दोनों दल करीब आ गए। बातचीत का दौर चलने के साथ ही गठबंधन भी हो गया। वहीं दोनों दलों के बीच जमीनी स्तर पर काफी दूरियां हैं। ऐसे में दोनों दलों के साथ आने से दिल्ली में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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Tue, 19 Mar 2024 20:09:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/aap-and-congress-together-increase-bjp-tension-in-delhi-understand-electoral-equation-of-lok-sabha-389701
<![CDATA[Himachal Pradesh News: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का लगाया आरोप]]> नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार प्रदेश में चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है। चुनाव के समय पार्टी प्रदेश की जनता के साथ धोखा कर जनसमर्थन हासिल करना चाहती है। इसलिए पार्टी चुनाव आते ही बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं करने लगती हैं और जनता को झूठी गारंटियां देती है। वहीं चुनाव के बाद पार्टी अपनी गारंटियों को भूल जाती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी को भूलना नहीं चाहिए कि झूठ की राजनीति अधिक दिनों तक नहीं टिकती है। 

जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जनता कांग्रेस को जवाब देने के लिए तैयार बैठी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव के समय 10 गारंटियां दी गई थीं। पार्टी द्वारा दी गई झूठी गारंटियों के नाम पर प्रदेश में सरकार बनी थी। इनमें से एक गारंटी राज्य की महिलाओं को 1500 रुपए देने की थी। जिसके लिए कांग्रेस के नेताओं ने राज्य की माताओं-बहनों से फर्जी फॉर्म तक भरवा लिए थे।

नेता प्रतिपक्ष ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आने के डेढ़ साल बाद तक कांग्रेस की तरफ से कोई काम नहीं किया गया। वहीं अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए हैं। तो बजट में बिना इस योजना का प्रावधान किए माताओं-बहनों से फिर से फॉर्म भरवाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद भी पार्टी इस तरह से माताओं-बहनों के साथ धोखा करने का प्रयास कर रही है।
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Tue, 19 Mar 2024 19:16:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/leader-of-opposition-jairam-thakur-accused-congress-of-violating-code-of-conduct-389693
<![CDATA[Delhi: ED ने कहा, के कविता ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत की साजिश रची ]]> तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता की गिरफ्तारी के दो दिन बाद , प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को कथित शराब नीति घोटाले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को उनके सह-साजिशकर्ता के रूप में नामित किया । “के कविता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर, दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति निर्माण और कार्यान्वयन में लाभ पाने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया के साथ साजिश रची।
ईडी ने कहा, इन एहसानों के बदले में, वह नेताओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने में शामिल थी। ”
 आप पार्टी ने ईडी के दावों का खंडन किया 
 ईडी के दावों का खंडन करते हुए आप ने कहा, "पहले भी कई मौकों पर ईडी ने इस तरह के बेहद झूठे और तुच्छ बयान जारी किए हैं, जिससे पता चलता है कि एक तटस्थ जांच एजेंसी होने के बजाय, यह बीजेपी की राजनीतिक शाखा की तरह काम कर रही है।" इसमें कहा गया है कि ईडी के आरोप हर दिन "झूठ फैलाकर और मीडिया में सनसनी पैदा करके" केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की छवि खराब करने का एक "हताश प्रयास" है।
ईडी ने अपने बयान में दावा किया कि, “भ्रष्टाचार और साजिश के कृत्यों से… AAP के लिए थोक विक्रेताओं से रिश्वत के रूप में अवैध धन का एक निरंतर प्रवाह उत्पन्न किया गया था। इसके अलावा, के कविता और उसके सहयोगियों को AAP को अग्रिम भुगतान की गई अपराध की आय की वसूली करनी थी और इस पूरी साजिश से अपराध की आय को आगे बढ़ाना था।
यह बयान केजरीवाल में ईडी की दिलचस्पी को कई गुना बढ़ा देता है। पिछले साल अक्टूबर में सिसौदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक प्रस्ताव के जवाब में ईडी ने पहली बार कहा था कि वह कथित घोटाले में आप नेतृत्व की भूमिका को देख रहा है। इसके बाद केजरीवाल को समन जारी किया गया। सीएम ने ईडी के सामने पेश होने से इनकार करते हुए तर्क दिया है कि समन अस्पष्ट थे कि उन्हें गवाह के रूप में बुलाया जा रहा है या आरोपी के रूप में।
आप ने अपने जवाब में कहा, ''यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी के इस दावे को खारिज कर दिया है कि इस मामले में 100 करोड़ रुपये का कोई भी मनी ट्रेल मौजूद है. पूरी दुनिया अब तक जानती है कि पूरा उत्पाद शुल्क मामला फर्जी है और इसका कोई सबूत नहीं है।''
 आप ने कहा, ईडी के पास कोई सबूत नहीं है 
आप ने कहा, "ईडी का बयान, जो कोई नया तथ्य या सबूत पेश नहीं करता है, उसकी हताशा को दर्शाता है क्योंकि उन्होंने 500 से अधिक छापे मारने और हजारों गवाहों से पूछताछ करने के बावजूद एक भी रुपया या सबूत बरामद नहीं किया है।"
“पिछले दो वर्षों से, ईडी इस मामले में अपराध की आय का पता लगाने की कोशिश कर रहा है… लेकिन अब हम जानते हैं कि भाजपा को चुनावी बांड देने वाली लगभग सभी कंपनियों पर पहले ईडी ने छापा मारा था। इसका मतलब है कि ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाने वाली कंपनियों ने छापे के तुरंत बाद अपराध की आय को भाजपा के खातों में स्थानांतरित कर दिया... इसलिए यदि ईडी को अपराध की आय का पता लगाने में दिलचस्पी है... तो यह भाजपा के खातों में मौजूद है,'' आप ने दावा किया।
अपने बयान में, ईडी ने यह भी रिकॉर्ड किया कि उसके अधिकारियों को कविता के रिश्तेदारों की ओर से रुकावटों का सामना करना पड़ा जब वे 15 मार्च को उनकी गिरफ्तारी से ठीक पहले उनके आवास की तलाशी ले रहे थे - कविता के भाई केटी रामा राव के साथ अन्वेषक भानुप्रिया मीना के विवाद का संदर्भ।
ईडी, जिसने उत्पाद शुल्क नीति मामले में छह आरोपपत्र दायर किए हैं, ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और 129 करोड़ रुपये की 'अपराध की आय' का पता लगाने का दावा किया है, और इतनी ही राशि की संपत्ति कुर्क की है।
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Tue, 19 Mar 2024 14:34:00 +0530 https://loksabhachunav.prabhasakshi.com/news/ed-said-k-kavitha-plotted-with-cm-arvind-kejriwal-and-sisodia-with-100-crore-paysoff-389600