क्या केरल में श्रीधरन की उम्मीद पर बीजेपी दे पाएगी यूडीएफ और एलडीएफ को टककर?

LSChunav     Mar 31, 2021
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क्या केरल में श्रीधरन की उम्मीद पर बीजेपी दे पाएगी यूडीएफ और एलडीएफ को टककर?

केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं। इसका परिणाम 2 मई के दिन आएगा। केरल में कुल 140 विधानसभा सीटें हैं. साल 2016 में हुए केरल विधानसभा चुनावों में CPIM के नेतृत्व वाला गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी और सरकार बनाई।

केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं। इसका परिणाम 2 मई के दिन आएगा। केरल में कुल 140 विधानसभा सीटें हैं. साल 2016 में हुए केरल विधानसभा चुनावों में CPIM के नेतृत्व वाला गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी और सरकार बनाई। इसी प्रकार कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) गठबंधन को केरल विधानसभा में 2016 के चुनावों में 47 सीटें मिली थीं। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की जबरदस्त हार हुई थी। आगामी विधानसभा चुनाव में भी LDF और UDF के बीच सीधी टक्कर है। 

 लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट, केरल में वामपंथी राजनीतिक दलों का गठबंधन है। यह केरल के दो प्रमुख राजनीतिक गठबंधनों में से एक है। फिलहाल लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट वहां की सत्ता में है। दूसरा गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ है। पिछले चार दशकों से इन्हीं दो गठबंधनों की केरल में सरकार रही है। LDF ने मई 2016 का विधानसभा चुनाव जीता और वर्तमान में सत्ता में है। LDF गठबंधन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, केरल कांग्रेस (एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), इंडियन नेशनल लीग और विभिन्न छोटे दल शामिल हैं। वर्तमान में, LDF का नेतृत्व पिनारयी विजयन (P. Vijayan) कर रहे हैं। विजयन केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। विजयन कू बात करे तो वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं। वह 1998 से 2015 तक सीपीआई (एम) की केरल राज्य समिति के सबसे लंबे समय तक सचिव रहे हैं। उन्होंने केरल सरकार में इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय में मंत्री के रूप में भी काम किया। 

 विजयन ने मई 2016 में केरल विधान सभा चुनाव में धर्मादोम निर्वाचन क्षेत्र से माकपा के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। उन्हें LDF के नेता के रूप में चुना गया था और वह केरल के 12वें  मुख्यमंत्री बने। आगामी विधानसभा चुनाव में पी.विजयन का मुकाबला UDF के नेता ओमन चांडी से है। बात यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की बात करें तो इस गठबंधन ने केरल के राज्य विधानमंडल के लिए 1982, 1991, 2001 और 2011 में चुनाव जीते हैं। यह गठबंधन मई 2016 केरल में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभा रहा है। गठबंधन में इंडियन नेशनल कांग्रेस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक और कई अन्य छोटे दल शामिल हैं। 

 ओमन चांडी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने 2004 से 2006 और फिर 2011 से 2016 तक, दो कार्यकालों में केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। वह 2006 से 2011 तक केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। वे 1970 से राज्य विधानसभा में पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। 6 जून 2018 को, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें आंध्र प्रदेश का अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त किया। वह अब कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य हैं।

 

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 वहीं, आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को केरल में कुछ खास उम्मीद नहीं है। हालांकि, चुनावी सरगर्मियों के बीच हाल ही में बीजेपी की तरफ से एक बड़ी खबर सामने आई। विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली और अब वह केरल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। केरल में बीजेपी श्रीधरन के बूते कुछ हासिल करने की कोशिश में है। हालाँकि, बीजेपी को भी यह लग रहा है कि केरल में मुख्य मुकाबला LDF और UDF के बीच ही है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनावों में उसे 8 से 10 सीटें भी मिलती हैं को उसके लिए संतोष की बात होगी। 

 वहीं, आगामी केरल विधासभा चुनाव, कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि राहुल गांधी के नेतृत्व में इस बार केरल विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो उनके लिए अध्यक्ष पर का दावा और ज़्यादा मजबूत हो जाएगा। वहीं, अगर वे विफल रहे तो राहुल के आलोचकों को एक बार फिर से उन पर सवाल उठाने का मौका मिल जाएगा।