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जौनपुर

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  • मतदान की तारीख: 12 मई
  • जनसंख्या: 1848842
  • श्याम सिंह यादव
  • श्याम सिंह यादव
  • बहुजन समाज पार्टी


जौनपुर के राजनीति इतिहास को देखें तो साल 1952 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार बिरबल सिंह की जीत हुई थी। 1957 में इस सीट से फिर से कांग्रेस के बिरबल सिंह जीतते हैं। 1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह विजयी हुए थे। 1963 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के राजदेव सिंह की जीत होती हैं। 1967 के चुनाव में फिर से कांग्रेस के राजदेव सिंह जीतते हैं और 1971 में भी वो अपने जीत के प्रदर्शन को दोहराते हैं। लेकिन 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर यदवेंद्र दत्त दुबे ने चुनाव जीता। साल 1980 से 1984 तक इस सीट पर जनता पार्टी सेक्यूलर के अजीजुल्लाह आजमी का कब्जा रहा। 1984 में कांग्रेस के कमला प्रसाद ने इस सीट पर जीत दर्ज की। 1989 में इस सीट पर भाजपा के यदवेंद्र दत्त दुबे ने जीत दर्ज की। साल 1991 में इस सीट पर जनता दल के अर्जुन सिंह जीतकर संसद पहुंचे। 1996 में भाजपा के राजकेसर सिंह विजयी हुए। 1998 में इस सीट पर सपा के टिकट पर पारसनाथ यादव ने कब्जा जमाया। 1999 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानंद की जीत हुई। 2004 में सपा के पारसनाथ यादव चुनकर संसद गए। 2009 में इस सीट फिर भाजपा के धनजंय सिंह की जीत हुई। जौनपुर संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं।


बादलपुर

शाहगंज

जौनपुर

मल्हानी

मुंगरा बादशाहपुर


जौनपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत ने वाले विधानसभा सीटों में से साल 2017 के चुनाव में 2-2 सीटों पर भाजपा और सपा का कब्जा है तो एक पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। जौनपुर जिले में धर्म आधारित आबादी के लिहाज से देखा जाए तो यहां पर हिंदू बहुसंख्यक हैं और उनकी संख्या 88.59 फीसदी है, जबकि मुस्लिमों की आबादी 10.76 फीसदी है।


2011 की जनगणना के आधार पर जौनपुर की कुल आबादी 44 लाख 94 हजार 204 है, जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। 22 लाख 20 हजार 465 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या 22 लाख 73 हजार 739 है।

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटा होने के बाद भी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जौनपुर सीट से तगड़ा झटका लगा था। बीजेपी प्रत्याशी केपी सिंह को गठबंधन के बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव ने करारी शिकस्त दी थी। आजमगढ़ से सटे होने की वजह यह सीट सपा और बसपा का गढ़ भी माना जाता है। बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव को 5,21,128 वोट हासिल हुए थे। वहीं भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह को 4,40,192 वोट मिले।

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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के अंतर्गत आने वाली इस सीट की अपनी पहचान है। जौनपुर उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहरों में शामिल है। इतिहासकारों के अनुसार गुप्त काल के दौरान यहां पर बौद्ध धर्म का प्रभाव रहा और चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के काल में यह शहर 'मनइच' तक जुड़ा रहा। जौनपुर संसदीय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कृष्णा प्रताप सिंह सांसद हैं। कृष्णा ने 1 लाख 46 हजार 310 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। कृष्णा को 3 लाख 67 हजार 149 वोट हासिल हुए थे जबकि बहुजन समाज पार्टी के सुभाष पांडे को 2 लाख 20 हजार 839  मत मिले। चुनाव में सपा तीसरे और आम आदमी पार्टी पांचवें स्थान पर रही थी।


जौनपुर के राजनीति इतिहास को देखें तो साल 1952 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार बिरबल सिंह की जीत हुई थी। 1957 में इस सीट से फिर से कांग्रेस के बिरबल सिंह जीतते हैं। 1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह विजयी हुए थे। 1963 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के राजदेव सिंह की जीत होती हैं। 1967 के चुनाव में फिर से कांग्रेस के राजदेव सिंह जीतते हैं और 1971 में भी ....

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